मोअल्लिफ - मौलाना मोहम्मद कमर आलम मिस्बाही उस्ताद दारुल उलूम अनवारे सुफिया , अकलूज , शोलापुर *अंगूठे चूमने का सबूत *
रसूले कायेनात सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के नामे मुबारक को
सुनकर अंगूठे चूमना दुनिया -व-आखिरत में खैर-व-बर्कत काबाइस है !इस बात के सबूत में बहुत सी अहादीस व तफ़सीर
की किताबें मौजूद हैं !
अल्लामा इमाम शम्सुद्दीन सखावी रहमतुल्लाही अलैहिदैलमी
हवाले से हजरत अबू बक्र सिद्दीक रजिअल्लाहू अन्हु का अमलनकल
फरमाते हैं!
जब मोअज्जिन को अशहदुअन्ना मुहम्मदुरसुलूल्लाहकहते सुना तो यही कहा और अपनी शहादत की
उंगलियों के पेटको चूमा और आँखोंसे मसह किया तो हुजुर सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स मेरे एस प्यारे दोस्त की तरह करेगा मेरी शफाअत उसकेलिए हलाल हो गयी !
रसूले कायेनात सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के नामे मुबारक को
सुनकर अंगूठे चूमना दुनिया -व-आखिरत में खैर-व-बर्कत काबाइस है !इस बात के सबूत में बहुत सी अहादीस व तफ़सीर
की किताबें मौजूद हैं !
अल्लामा इमाम शम्सुद्दीन सखावी रहमतुल्लाही अलैहिदैलमी
हवाले से हजरत अबू बक्र सिद्दीक रजिअल्लाहू अन्हु का अमलनकल
फरमाते हैं!
जब मोअज्जिन को अशहदुअन्ना मुहम्मदुरसुलूल्लाहकहते सुना तो यही कहा और अपनी शहादत की
उंगलियों के पेटको चूमा और आँखोंसे मसह किया तो हुजुर सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स मेरे एस प्यारे दोस्त की तरह करेगा मेरी शफाअत उसकेलिए हलाल हो गयी !